
विष्णु नागर जैसी समय की दस्तावेजी व्यंग्य पकड़ सचमुच दुर्लभ है!
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विष्णु नागर जैसी समय की दस्तावेजी व्यंग्य पकड़ सचमुच दुर्लभ है!
सदी का सबसे बड़ा ड्रामेबाज
व्यंग्य
गाँधी और गोडसे : कहते हैं कि गाँधी धरती पर बार-बार पैदा नहीं होते, मगर यह हम खुद देख चुके हैं कि गोडसे बार-बार पैदा हो जाते हैं। उन्हें एक अदद गाँधी चाहिए होता है और वह उन्हें नहीं मिलता। परेशान होकर उन्हें जो भी उन जैसा भी मिल जाता है, भले ही बहुरूपियए उसे गाँधी मानकर वे गोली मार देते हैं और अपने मिशन के कामयाबी होने की घोषणा करते हैं।
चूँकि गोडसे ने मारा है, इसलिए लोग भी कई बार सोचने लगते हैं कि यह जरूर गाँधी रहा होगा और वे उसकी पूजा करना तथा उसके सिद्धांतों पर चलने की घोषणा करना शुरू कर देते हैं।
इस तरह से देखें तो आजकल भी गाँधी पैदा होते रहते हैं।
– इसी पुस्तक से…
हिटलर का वक्त : हर आदमी का एक वक्त होता है। हिटलर का भी था।
हिटलर को जब यह समझ में आ गया कि उसका वक्त अब नहीं रहा तो उसने जहर खा लिया, क्योंकि वह जानता था कि वह जिंदा पकड़ा गया तो उसके साथ क्या-क्या होगा।
लेकिन बहुत से हिटलर खतरे को भाँप नहीं पाते और हर हालत में जिंदा रहने पर तुले रहते हैं। और जब मौत अपने विकरालतम रूप में सामने आती है तो कोई उन्हें मरने के लिए जहर की पुड़िया लाकर देना भी पसंद नहीं करता, उस पर पैसे खर्च करना पैसे की बर्बादी मानता है। यह सोचता है कि इस पर इतना पैसा बर्बाद करने की बजाय तो इस पैसे से आईसक्रीम खुद खाना और अपने बच्चों को खिलाना ज्यादा उपयोगी रहेगा।
– इसी पुस्तक से…
विष्णु नागर जैसी समय की दस्तावेजी व्यंग्य पकड़ सचमुच दुर्लभ है!
| Weight | 370 g |
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