Andhvishwas
अंधविश्वास

40.00

WRITER – ROBERT GREEN INGARSOAL

TRANSLATOR – SOMPRAKASH/

अनुवाद – सोमप्रकाश

SAHITYA UPKRAM- HINDI – PAGE 40

Description

 

वायरस :
एक लघुकथा
करोना वायरस को भी अंत में मनुष्य से हारना ही पड़ा। मुँह लटकाकर वापस जाने लगा तो मीडिया ने उन पहलुओं पर दनादन चार सवाल दागे जिन पर वायरस का जरा भी असर नहीं हुआ था।
चीन में इतनी प्रलय आयी, फिर भी पार्टी भक्ति सलामत रही?
• इटली में इतनी मौतें हुयी, फिर भी वैटिकन भक्ति बनी रही?
. अमेरिका में व्यापक प्रकोप होने दिया और तब भी ट्रम्प भक्ति पर आँच नहीं आयी ?
• भारत में तमाम बदइंतजामी के बावजूद अंध भक्ति में कमी नहीं हुयी ?
करोना वायरस ने ठंडी साँस ली। उसने चारों सवालों का एक ही जवाब दिया-एक वायरस दूसरे वायरस का कभी नुकसान नहीं करता !
– विकास नारायण राय
अंधविश्वास क्या है?
• प्रमाण के होते हुए भी विश्वास न करना अथवा प्रमाण के न होते हुए भी विश्वास करना।
• किसी एक रहस्य का स्पष्टीकरण किसी अन्य रहस्य द्वारा प्रस्तुत करना।
• इस बात में विश्वास करना कि संसार का कारोबार दैवयोग अथवा सनकी तरीके से चल रहा है।
• कार्य-कारण के बीच वास्तविक सम्बन्ध की अवहेलना करना।
• विचार, आकांक्षा, उद्देश्य, रूपरेखा को प्रकृति के अस्तित्व का कारण बनाना।
• विश्वास करना कि बुद्धि ने पदार्थ की उत्पत्ति की तथा बुद्धि ही इसका संचालन करती है। बल को पदार्थ से पृथक मानना अथवा पदार्थ को बल से पृथक मानना ।
• चमत्कारों, मंत्र-तंत्र तथा भाग्य, सपनों तथा भविष्यवाणियों में विश्वास करना।
• अलौकिक में विश्वास करना।
• अंधविश्वास अज्ञानता की नींव पर टिका होता है, धर्म इसकी अधिरचना होता है तथा दुराशा इसका गुम्बद होती है।
• अंधविश्वास अज्ञान का शिशु होता है तथा कष्टों का जन्मदाता होता है।
• आम तौर से प्रत्येक मस्तिष्क में अंधविश्वास का कुछ न कुछ अंश पाया जाता है।
– किताब से

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अंधविश्वास”

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